पूर्वी यूरोप में पोलैंड में और दुनिया-भर में रहने वाले पोलिश लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक पश्चिमी स्लावी भाषा है जो उस भाषा परिवार की लेकितिक (
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रूसी के साथ-साथ सारी स्लावी भाषायों ने भी कातालुन्या में अपनी उपस्थिति में बढ़ोतरी की है, यहाँ पोलिश, यूक्रेनी, बाइलोरूसी, चेकोस्लोवाकी, स्लोवेकी, स्लोवेनी, मासेदोनियाई, बुल्गारी आदि भाषायें बोली जाती हैं।
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यूरोप में बाल्टिक भाषाएँ (लातवी व लिथुआनी), केल्टिक भाषाएँ (गाएली आयरलैंडी, स्कॉटी व ब्रेतोनी), स्लावी परिवार(रूसी, पोलिश, सोराब व मासेदोनी), जर्मन परिवार(अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रिसो व आइसलैंडी) व रोमन परिवार(काताला, रोमानी, स्पेन या ऑक्सिता)
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कई लाख रूसी, यूक्रेनी और अन्य स्लावी लोग मध्य एशिया और साइबेरिया में आकर बस गए जिस से उन इलाक़ों का जातीय मिश्रण बदल गया और उन स्थानों की संस्कृति में गहरा रूसिकरण हुआ।
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इसी तरह की एक मसीही मानसिकता पॉलिश तथा रूसी संस्कृति और साहित्य में पहले ही प्रचलित थी, जिसमें स्लोवाकिया का अखिल-स्लाववाद राष्ट्रीय घटकों को अधिक महत्त्व नहीं देता था और एक स्लावी संस्कृति के संश्लेषण में उसकी ज्यादा दिलचस्पी थी।
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११ वीं और १ २ वीं सदी में लिखे गए मुख्य वृत्तान्त (Повѣсть времяньныхъ лѣтъ, Primary Chronicle) में १ २ स्लावी क़बीलियाई परिसंघों की सूची है जिन्होनें बाल्टिक सागर और कृष्ण सागर के बीच के क्षेत्र में रहना शुरू कर दिया था।
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यूरोप में बाल्टिक भाषाएँ (लातवी व लिथुआनी), केल्टिक भाषाएँ (गाएली आयरलैंडी, स्कॉटी व ब्रेतोनी), स्लावी परिवार (रूसी, पोलिश, सोराब व मासेदोनी), जर्मन परिवार (अंग्रेज़ी, जर्मन, फ्रिसो व आइसलैंडी) व रोमन परिवार (काताला, रोमानी, स्पेन या ऑक्सिता) भारतीय-यूरोपीय भाषाएँ हैं।