‘ अ ' का अर्थ है जाग्रत अवस्था, ‘ उ ' का स्वप्नावस्था और ‘ म ' का अर्थ है सुप्तावस्था।
42.
वस्तुतः स्वप्नावस्था में हमारे मस्तिष्क का वही भाग देख रहा होता है जो आँखों द्वारा देखे जाते समय उपयोग में आता है.
43.
अब तो यह हाल है कि हम सोते-जागते, स्वप्नावस्था तथा रात-दिन श्री कृष्ण श्री कृष्ण का ही स्मरण करते रहते हैं।
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वस्तुतः स्वप्नावस्था में हमारे मस्तिष्क का वही भाग देख रहा होता है जो आँखों द्वारा देखे जाते समय उपयोग में आता है.
45.
साधना क्रम में स्त्री स्पर्श, चर्चा, संसर्ग का पूर्णतः निर्जित (जाग्रत और स्वप्नावस्था, किसी में भी) होता है।
46.
शिव चेतना की चौथी अवस्था हैं ; तुरीया अवस्था, ध्यान की अवस्था-जो जाग्रत, सुषुप्त और स्वप्नावस्था से ऊंची है।
47.
किन्तु सच यह है कि हम स्वप्नों में कुछ भी नहीं देखते हैं क्योंकि देखा तो आँखों से जाता है जो स्वप्नावस्था में उन दृश्यों को नहीं देखतीं.
48.
जीव आत्मा अपने ही माया जाल में फंसकर रह जाता है और इस कारण अपने द्वारा रचित स्वप्नावस्था के अन्धेरे में सुख दुख का अनुभव करता है.
49.
फिर ये दमित भाव अपना रूप बदलकर मनुष्य की जाग्रत अवस्था में अथवा उसकी स्वप्नावस्था में, जबकि उसका सुस्वत्व कुछ ढीला हो जाता है, रूप बदलकर प्रकाशित होते हैं।
50.
संपूर्णता के साथ अपना मानवीय आयाम खोए हुए वह पूरी तरह बेहोशी और स्वप्नावस्था से गुजरा होगा और उसने एक कहानी सोची जिसे वह शब्दों में ढालना चाहता होगा।