नाम रूप की सत्यता ने लोगों के दिल की इतनी खाना खराबी कर दी है कि दिल में दिलबर छुपा है वह दिखता नहीं और जो मिथ्या है, स्वप्न जैसा है, बदलने वाला है, जिसमें कुछ सार नहीं फिर भी उससे दिल दिमाग को भर रखा है।
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नाम रूप की सत्यता ने लोगों के दिल की इतनी खाना खराबी कर दी है कि दिल में दिलबर छुपा है वह दिखता नहीं और जो मिथ्या है, स्वप्न जैसा है, बदलने वाला है, जिसमें कुछ सार नहीं फिर भी उससे दिल दिमाग को भर रखा है।
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सहजयोगी हमेशा सोचें और जब-जब भी गलत विचारों का सामना करना पडे, तो उन्हैं नियंत्रित करने के लिए गणेश की शक्तियों की याचना करें प्रार्थना करें क्योंकि उनके कठोर परिश्रम और पावनता के कारण ही मनुष्य इतनी महान ऊंचाइयों को पार कर पाता है जोकि व्यक्ति को वास्तव में स्वप्न जैसा दिखाई देता है।
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बाल मृत्यु दर का 4 मिनट में 5 बच्चों की मौत के अनुपात में होना निश्चय ही किसी संवेदनशील नीति निर्माता के दु: स्वप्न जैसा होगा लेकिन उसे भूल जाइए, इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर मौतें न्यूमोनिया और डेंगू जैसी बीमारियों से होती हैं जिनका इलाज संभव है.
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बाल मृत्यु दर का 4 मिनट में 5 बच्चों की मौत के अनुपात में होना निश्चय ही किसी संवेदनशील नीति निर्माता के दु: स्वप्न जैसा होगा लेकिन उसे भूल जाइए, इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि ज्यादातर मौतें न्यूमोनिया और डेंगू जैसी बीमारियों से होती हैं जिनका इलाज संभव है.
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उस संसार को देखना एक गुमशुदा अतीत की ख्वाहिशों में झाँकने जैसा होगा और इस से पहले कि धूल में आधी दबी उस अठन्नी को लपक कर मुट्ठी मे बंद कर लूँ वैसी बीसियों चमकने लग जाएंगी यहाँ वहाँ उस संसार को देखना दूर धुँधलके में तैरता अद्भुत स्वप्न जैसा होगा बरबस सच हो जाना चाहता हु आ.
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बरत कर फेंक दी गई और भी कितनी ही चीजें! उस संसार को देखना एक गुमशुदा अतीत की ख्वाहिशों में झांकने जैसा होगा और इससे पहले कि धूल में आधी दबी उस अठन्नी को लपक कर मु_ी में बंद कर लूं वैसी बीसियों चमकने लग जाएंगी यहां-वहां दूर धुंधलके से तैरकर आता अद्भुत स्वप्न जैसा बरबस सच हो जाना चाहता हुआ।
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अब इस गर्मी की वजह तापमान के अलावा राजकुमार विलियम और कैट की शादी भी हो सकती है. जिसकी तैयारियों में लन्दन व्यस्त है और और २९ अप्रैल का लन्दन के नागरिक बड़ी बैचेनी और उत्साह से इंतज़ार कर रहे हैं.डायना और राजकुमार चार्ल्स की शादी में जो लोग मौजूद नहीं थे उनके लिए लिए यह भव्य आयोजन देखना एक स्वप्न जैसा है.
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ॐ गुरु...... ॐ गुरु..... ॐ गुरु.....ॐ.... चिंतन करो कि 'ऐसे दिन कब आयेंगे कि मैं अपने राम-स्वभाव में जगूँगा, सुख-दुःख में सम रहूँगा...? मेरे ऐसे दिन कब आयेंगे कि मुझे संसार स्वप्न जैसा लगेगा...? ऐसे दिन कब आयेंगे कि मैं अपनी देह में रहते हुए भी विदेही आत्मा में जगूँगा....?' ऐसा चिंतन करने से निम्न इच्छाएँ शांत होती जायेंगी और बाद में उन्नत इच्छाएँ भी शांत हो जायेंगी।
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दूसरी बात यह है कि अगर ऐसा साक्ष्य हो भी तो क्या मध्ययुग की गलती को एक दूसरी गलती करके दोहराना तर्कसंगत होगा? बाबर ने अगर कोई काम किया तो उसकी भरपाई सारे देश की जनता एवं लोकतांत्रिक राज्य क्यों करें? यह मध्ययुग की गलती सुधारने के लिए मध्ययुग में जाने जैसा ही होगा और आज के दौर में मध्ययुग में जाने का मतलब एक भयानक स्वप्न जैसा ही हो सकता है।