' ' विजया नगर के राजाओं ने आज्ञा दे रखी थी कि कोई भी व्यक्ति, कभी भी, कहीं भी आये या जाये ; और बिना किसी कैसी भी रुकावट, असुविधा, व यातना के, स्वेच्छानुसार अपने मतानुसार अपना जीवन यापन करे।
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बडवंटे (वरगद के फल) इकट्टे कर जो ॠषि भोजन करता था, उसे लोग वटाहार (बढाढरा) कहने लग गये ॥ २ ॥ उच्छवृत्ति परायण ऋषियो में कन्दमूल खाने का जो प्रचलन था, उसके अनुसार ॠषि स्वेच्छानुसार कन्दमूल का चुनाव करते थे।
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इस उपरांत, भारत के प्रथम स्त्री प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी भी चुनाव में विजय पाते ही दिनांक 9 मार्च, 1980 के रोज रविवार के दिन स्वेच्छानुसार श्री माधवसिंहजी सोलंकी और श्री घनश्यामजी पंडित के साथ श्री केम्प हनुमानजी के मंदिर में दर्शन एवं आशिर्वाद प्राप्त करने आये थे ।
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{महाभारत (उद्योग पर्व) ~ ३३-३२} जो शीघ्र ही कही गई बात के तात्पर्य को समझ लेता है, परन्तु फिर भी उसे देर तक ध्यान से सुनता है, और अभिप्राय को समझने के पश्चात, स्वेच्छानुसार उसका अर्थ नहीं करता है, तथा जो बिना पूछे दूसरे की बात में टांग नहीं अड़ाता है ।
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यह संस्थान पूर्व से चल रहे पालीटेक्निक संस्थाओं से भिन्न होंगे, जिसमें युवाओं को किसी निश्चित तकनीकी विषय हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया जायेगा जो कि इन संस्थानों में दी जाने वाली शिक्षा का मुख्य घटक होगा तथा पाठ्यचर्या का निर्माण इस प्रकार से किया जायेगा कि युवा स्वेच्छानुसार अपनी सामान्य शिक्षा की मुख्य धारा से तकनीकी शिक्षा की ओर प्रेरित हो सकेगा तथा प्रशिक्षित होकर औद्योगिक कार्यो में अपना योगदान देगा।
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कुश्ती की घटना के बाद बाबा की जीवनचर्या भी पूरी तरह से बदल गयी थी | अब बाबा का ठिकाना दिन में नीम के पेड़ के नीचे होता जहां पर वे बैठकर अपने स्वरूप (आत्मा) में लीन रहते | इच्छा होने पर गांव की मेड़ पर नाले के किनारे एक बबूल के पेड़ की छाया में बैठ जाते थे | संध्या समय बाबा वायु सेवन के लिए स्वेच्छानुसार विचरण करते थे |