पूर्ण कालिक लेखक बनने की बड़ी तमन्ना थी, मैंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हेतु आवेदन किया, सरकार ने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति दे दी, मैंने ले ली ओर फिर कागज-कलम और कम्प्यूटर की दुनिया में जम गया रम गया।
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वीआरएस नियोक्ताओं को सरकारी उपक्रमों के नियोक्ताओं सहित अधिशेष श्रम शक्ति हटाने के लिए स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना की पेशकश करना अनुमत करती है इस तरह से कंपनी छोड़ने के लिए कर्मचारी पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डला जाता है।
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विस्थापन के बाद कानपुर, लखनऊ और काशी में करीब 20 वर्ष गुज़ारे तथा पंजाब नेशनल बैंक से चीफ मनेजर के पद से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति के बाद वर्तमान में बंगलौर में ही समाज सेवी संस्था Enable India में सम्माननीय निदेशक हैं.
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गोल्डन ले लो, गोल्टन ले लो नित नबाधा पाठ सुनाए नौकरी पर खतरा है भाई शर्तों की बौछार लगाए कब तक बकरी खैर मनाए लटक रही तलवार जान लो मोटा-सोटा हाल जान लो साहित्य अकादमी में एकल काव्यपाठ के दौरान हिंदी की चर्चित कवयित्री रमणिका गुप्ता ने जब सरकार की स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति पर कटाक्ष करते हुए लिखी अपनी कविता मोटा-सोटा हाल जान लो की इन पंक्तियों का पाठ किया तो हाल में बैठे श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे।