जिसे बनाया वृद्ध पिता के श्रम जल ने दादी की हँसुली ने माँ की पायल ने उस कच्चे घर की कच्ची दीवारों पर मेरी टाई टँगने में कतराती है।
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ऐरन, बाजू बैरक्खी, हँसुली, हवेल, झुमकी, माथबेंदी और भी पता नहीं क्या-क्या? संतोख के मुंह से कभी हाँ निकल जाता है, कभी ना।
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ऊँची श्वास क्रियाः--में पसलियों को उठा एवं हँसुली की हड्डी तथा कन्धोंको ऊपर उभाड़ एवं साथ ही पेट को भीतर खींचा जाता है एवं उसके अन्दर कीचीजों को ऊपर खींचकर छाती और पेट को अलग करने वाली चद्दर से भिड़ा देताहै, जो चद्दर भी ऊपर खिंच जाती है.
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उत्तर बस्तर में छत्तीसगढी संस्कृति का प्रभाव भी गुदने में देखा जाता है जिस कारण माछी (मक्खी), बिच्छी, पौअँडी (पायल), खाडू (पग वलय) बाहाँ-चेघा (बाँहटा) और सिइता (हँसुली) आदि नामो के गोदने कांकेर और निकटवर्ती क्षेत्रों में प्रचलित हैं।