| 41. | उसने पूछा, “ अब क्या करूं? ” बावला बोली, ” अब हंडा हंडे की जगह पर रख दो।
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| 42. | इससे अनुमान है कि यह “ हंडा ” (सोने की मोहरों से भरी हांड़ी) ढूंढने वालों की करतूत है।
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| 43. | कई बरस पहले कुछ तांत्रिको ने यहां से खजाना (हंडा) निकालने का प्रयास किया था परन्तु वे सफ़ल नहीं हुए।
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| 44. | हंडा मस्सिजद के इमाम हाजफिज मोहम् मद सादिक हुसैन बताते हैं कि उस दौर में धर्म जाति का भेद लोगों में नहीं था।
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| 45. | बावले ने फूंक-फूंककर चूल्हा जला लिया और पूछा, “ अब क्या करूं? ” बावली बोली, ” अब हंडा नीचे उतार लो।
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| 46. | माना कि अंधेरे में किसी ने सर पर ले जाते हुए तो नहीं देखा, मगर हंडा ले जाने का सिर्फ़ यही एक तरीक़ा था।
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| 47. | “पिफर क्या? मेरी माँ तो एक बार चक्कर खा के गिरने वाली थी, तब मैंने ही तो उसके सिर का हंडा अपणे सिर ढोया।”
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| 48. | माना कि अंधेरे में किसी ने सर पर ले जाते हुए तो नहीं देखा, मगर हंडा ले जाने का सिर्फ़ यही एक तरीक़ा था।
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| 49. | बावले ने हंडा चूल्हे पर रख दिया और पूछा, “ अब क्या करूं? ” बावली बोली, ” अब लकड़ी सुलगा लो।
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| 50. | माना कि अंधेरे में किसी ने सर पर ले जाते हुए तो नहीं देखा, मगर हंडा ले जाने का सिर्फ़ यही एक तरीक़ा था।
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