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हिंग्रेजी उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.आपकी सुविधा के लिए पहला जोक यथासंभव हिंग्रेजी में है, व्याकरण या वाक्य विन्यास के संदर्भ में कुल उतनी ही सावधानी बरती गई है जितनी एनबीटी बरतता है ताकि इन्हें पढ़ते हुए नभाटा ही पढ़ने का एहसास होता रहे।

42. [3] पर सवाल है कि हिंदी समाज का वह कौन सा वर्ग है, जो इस हिंग्रेजी या हिंग्लिश या भ्रष्ट भाषा अपना कर गौरवान्वित हो रहा है और जिसके प्रतिनिधित्व का दावा नवभारत टाइम्स कर रहा है?

43.इधर हिंदी जो अपना नया रूप अख्तियार कर चुकी है, उस पर भी काफी विचार-विमर्श और बहस-मुहावसे के बाद शायद आधे से ज्यादा विद्वानों ने यह मान लिया है कि बटलरी हिंदी का नया संस्करण हिंग्लिश या हिंग्रेजी जायज है और मुनासिब भी।

44.आपने बिल्कुल ठीक लिखा है, दूसरी भाषा के शब्दों को अपनाना कोई बुरी बात नहीं यदि उनका विकल्प न हो, लेकिन दूसरी भाषा के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग कर हिन्दी को हिंगलिश या हिंग्रेजी में बदलना निश्चित रूप से अक्षम्य है.

45.यह एक ऐसी ‘ हिन्दी ' फिल्म है जो पिछले दिनों आये एक चुटकुले (आप जरूर उसे बड़ी खबर कहेंगे) को नोचकर नंगा कर देती है जिसे अंग्रेजी और हिंग्रेजी के अखबारों ने मशरूफियत से छापा: भारत में अमीरों की संख्या गरीबों से ज्यादा.

46.यहाँ वे तकनीक और मीडिया के विस्तार, उनके अंतर्संबंधों, मीडिया के दो प्रमुख रूपों इलेक्ट्रॉनिक और मुद्रण, मुद्रण माध्यमों के स्थानीयकरण, समाचार पत्रों की बदलती भाषा (जिसे उन्होंने हिंग्लिश की बजाय हिंग्रेजी कहा है), भारत में मुद्रण माध्यमों के विस्तार आदि पर तटस्थ किंतु मुक्त भाव से विचार करते हैं।

47.हिंग्रेजी समर्थकों का यह तर्क समझ से बाहर है क्योंकि आम पाठकों में हर वर्ग शामिल है औरहिंदी समाचारपत्र-पत्रिका पढ़ने वाला कोई भी व्यक्ति उतनी सरलता से एचीवमेंट, फेवरेट, सिचुएशन, जर्नी या पेशेंट्स को नहीं समझ सकता है जितनी सहजता से उपलब्धि, पसंदीदा, स्थिति, यात्रा या मरीज जैसे शब्दों को समझता है।

48.बात भाषा की-हैं तो हम मूलरूप से हिन्दीभाषी, पर अंग्रेजी की डोपिंग(मिलावट) इस कदर हो गई है कि यह समझ पाना मुश्किल हो चला है कि अमुक व्यक्ति हिन्दी बोल रहा है या अंग्रेजी?चलिए,एक अच्छी सुविधा तो हुई,नई भाषा के लिए नया नामकरण,“ हिंग्रेजी ” किसी भी भाषा को ग्राह्य बनाने के लिए डोपिंग समझ में आती है पर ऐसी भी क्या की मूल भाषा ही धूंधनी पड़ जाए.

49.आश्चर्य होता है, कि यह कैसे हुआ? एक पराई और दो सौ सालों तक भारतीय मानस को अपना उपनिवेश बना कर रखने वाली सामंती-भाषा के आगे हमारे भाग्यविधाओं ने हथियार क्यों डाल दिए? उन्होंने जन-गण-मन को समझने की कोशिश क्यों नहीं की? कुपरिणाम सामने है, कि आज हिंदी हाशिये पर है और उसकी जगह हिंग्लिश या हिंग्रेजी नामक एक नई बाजारू भाषा को स्थापित करने की क्रमिक साजिश की जा रही है।

50.बात भाषा की-हैं तो हम मूलरूप से हिन्दीभाषी, पर अंग्रेजी की डोपिंग (मिलावट) इस कदर हो गई है कि यह समझ पाना मुश्किल हो चला है कि अमुक व्यक्ति हिन्दी बोल रहा है या अंग्रेजी? चलिए, एक अच्छी सुविधा तो हुई, नई भाषा के लिए नया नामकरण, “ हिंग्रेजी ” किसी भी भाषा को ग्राह्य बनाने के लिए डोपिंग समझ में आती है पर ऐसी भी क्या की मूल भाषा ही धूंधनी पड़ जा ए.

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अंग्रेज़ी→नहीं। नहीं।→अंग्रेज़ी