साहित्य वाचस्पति ” का 26 जनवरी 1961 को भारत सरकार ने पद्मभूषण का अलंकरण प्रदान किया | सरस्वती ने अपने हीरक जयन्ती समारोह के अवसर पर मानपत्र देकर सम्मानित किया | जो उनके बहुमुखी व्यक्तित्व को सामने लाता है | मानपत्र में लिखा था-“
42.
मुख्य अतिथि भारतीय राजदूत श्री आलोक प्रसाद ने कहा कि यह वर्ष भारत-जापान मैत्री का हीरक जयन्ती वर्ष है, जिसकी शुरुआत इस सम्मेलन के माध्यम से हो रही है, क्योंकि विभिन्न देशों संस्कृतियों को जोड़ने में भाषा सेतु का काम करती है।
43.
संस्था की अध्यक्ष एवं वसुधा की संपादक-प्रकाशक श्रीमती स्नेह ठाकुर ने विशिष्ट अतिथियों, श्रोताओं व संस्था के सदस्यों के प्रति आभार प्रदर्शित करते हुये उन्हें टोरांटो, कैनेडा में इस सर्वप्रथम आयोजित राष्ट्रभाषा हिन्दी हीरक जयन्ती को सफल बनाने हेतु धन्यवाद दिया तथा भोजन के लिये आमंत्रित किया।
44.
संस्था की अध्यक्ष एवं वसुधा की संपादक-प्रकाशक श्रीमती स्नेह ठाकुर ने विशिष्ट अतिथियों, श्रोताओं व संस्था के सदस्यों के प्रति आभार प्रदर्शित करते हुये उन्हें टोराण्टो, कैनेडा में इस सर्वप्रथम आयोजित राष्ट्रभाषा हिन्दी हीरक जयन्ती को सफल बनाने हेतु धन्यवाद दिया तथा भोजन के लिये आमंत्रित किया।
45.
जन संस्कृति मंच, राही मासूम रज़ा एकेडमी तथा अलग दुनिया ने इनके द्वारा प्रगतिशील लेखक संघ के हीरक जयन्ती समारोह में कही बातों पर कड़ी आपति जताई है तथा कहा है कि दलित व स्त्री लेखन तथा आरक्षण के सम्बन्ध में उनके विचार दलित व स्त्री विरोधी हैं।
46.
सन् 1955 में श्री कलिहारी संत विनोबा भावे के साथ जुड़ गये एवं उनके प्रसिद्ध भूदान आन्दोलन में सक्रियता के साथ जुड़कर विनोबा जी के हीरक जयन्ती के अवसर पर श्री कलिहारी द्वारा दुर्ग जिले के पचास हजार के लक्ष्य में सैतालिस हजार रूपये संग्रहित कर विनोबा भावे जी को भेंट किये ।
47.
७ मार्च २००९ को, 'सद्भावना हिन्दी साहित्यिक संस्था' व 'वसुधा' हिन्दी साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका के तत्वावधान में सभी प्रियजनों के सहयोग से राजभाषा हिन्दी की हीरक जयन्ती का महापर्व सफलतापूर्वक मनाया गया था, और उसी दिन राजभाषा हिन्दी की 'हीरक जयन्ती' की स्मृति को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिये संस्था द्वारा संस्था के कवियों का 'काव्य हीरक' संकलन प्रकाशित करने की घोषणा की गयी थी।