| 1. | आकाश पर अनल से लिख दे अदृष्ट मेरा
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| 2. | इसे ही कहते हैं अदृष्ट का अन्धा न्याय-विचार।
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| 3. | आतुडलें ॥ २१ ॥ होय अदृष्ट आपैतें ।
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| 4. | “मैं अपने अदृष्ट को अनिर्दिष्ट ही रहने दूँगी।
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| 5. | अदृष्ट के भी दो भेद हैं-लौकिक एवं पारलौकिक।
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| 6. | तुम्हारे भाग्य को अदृष्ट का कंटक-व्याल डँसता रहेगा।
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| 7. | आकाश पर अनल से लिख दे अदृष्ट मेरा,
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| 8. | पाचक महाशय अदृष्ट महाराज की बाट जोहते रहेंगे।
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| 9. | रोग-निर्धनता आदि प्रतिकूल की निवृत्ति होना-यह अदृष्ट का
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| 10. | अनोंय्मोउस का धन्यवाद जिनको अदृष्ट दिखता हैं.
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