अन्तिम पैरा में सुभाष नीरव द्वारा ताने गये बिम्ब को समझे बिना इस लघुकथा की तीव्रता को समझना असम्भव है।
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अन्तिम पैरा में सुभाष नीरव द्वारा ताने गये बिम्ब को समझे बिना इस लघुकथा की तीव्रता को समझना असम्भव है।
3.
पी0 डब्लू0-2 ने अपनी जिरह 103 / 5 के अन्तिम पैरा में कहा है कि विवादित भूमि पर जो कमरे बनवाये गये हैं वे नेब्बू लाल ने बनवाये है।
4.
+ अन्तिम पैरा में विभागाध्यक्ष ने लिखा था-" चूँकि आपने मेरी राय जानने की कृपाकी इसलिए मैंने अपनी राय बिना शब्दों और विचारों की कोताही किये स्पष्ट रूप सेआपके सामने रख दी.
5.
पठनीय लेख, अन्तिम पैरा में एक संशय है कि क्या कोई यह अपनी माँ को बता सकेगा (खासकर भारतीय माँ को) कि माँ में शराब पीने जा रहा हूँ और रात को डेढ़ बजे तक वापस आऊंगा?
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पठनीय लेख, अन्तिम पैरा में एक संशय है कि क्या कोई यह अपनी माँ को बता सकेगा (खासकर भारतीय माँ को) कि माँ में शराब पीने जा रहा हूँ और रात को डेढ़ बजे तक वापस आऊंगा?
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पठनीय लेख, अन्तिम पैरा में एक संशय है कि क्या कोई यह अपनी माँ को बता सकेगा (खासकर भारतीय माँ को) कि माँ में शराब पीने जा रहा हूँ और रात को डेढ़ बजे तक वापस आऊंगा?
8.
यहॉ यह भी उल्लेख करना आवश्यक है कि दिनांक 10. 5.2005 को निम्न न्यायालय द्वारा पारित किये गये निर्णय के पृष्ठ-13 पर निम्न न्यायालय द्वारा अन्तिम पैरा में यह निष्कर्ष दिया है कि पै0 नं0 15615 में चार मु0 जमीन अवशेष रहती थी और प्रतिवादी संख्या-2 के अनुसार प्रतिवादी संख्या-1 ने विवादित पै0नं0 में साढ़े पॉच मु0 जमीन का विक्रय कर दिया।
9.
धारा 47 सी. पीसी. के अनुसार पक्षकारों के बीच डिक्री के निश्पादन, डिस्चार्ज और सन्तुश्टि सम्बन्धी सभी विवाद तय करने की अधिकारिता निश्पादन न्यायालय को प्राप्त है और जैसा कि अवर न्यायालय ने अपने आदेष के अन्तिम पैरा में कहा है कि यदि डिक्री के निश्पादन के समय सम्पत्ति की षिनाख्त में कोई परिवर्तन होता है तो न्यायालय उसका संज्ञान ले सकती है।
10.
मैं अपने होष हवास में लिखत में दे रहा हूं जिस पर दुर्गा सिंह पी0डब्लू01 के हस्ताक्षर हैं तथा इस साक्षी द्वारा भी अपनी जिरह के दौरान पृष्ठ 4 पर अन्तिम पैरा में स्वीकार किया है कि ‘‘ गवाह प्रदर्ष क-7 देखकर कहा कि इस पर मेरे हस्ताक्षर हैं उक्त कागज को पढ़कर मैं यह भी बता सकता हूं कि उक्त कागज दिनांक 6-8-2005 को लिखा गया है।