| 1. | अम्बुधि धोता है पाँव सदा, नैनों में विशाल गगन लहराए।
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| 2. | बाँहों से हम अम्बुधि अगाध थाहेंगे.
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| 3. | अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल,
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| 4. | अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल;
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| 5. | ं आपत्ति. अम्बुधि. अगम. अम्बए अनाथ आश्रयहीन मैं।
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| 6. | ं आपत्ति-अम्बुधि-अगम-अम्ब, अनाथ आश्रयहीन मैं।
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| 7. | अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल ; भूधर ज्यों ध्यान-मग्न ; केवल जलती मशाल।
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| 8. | दर्शन सतरंगी कुण्ठित, निष्पादन भाव दनुज का ॥ सरिता आँचल में झरने, अम्बुधि संगम लघु आशा ।
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| 9. | हे! हिन्दी के रुद्रावतार! भाषानिधि अम्बुधि महाकार कविता-नवीन के शिल्पकार जीवनी शक्ति जो दुर्निवार अर्पित तुमको यह पुष्पहार चन्दन है!
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| 10. | है अमानिशा, उगलता गगन घन-अन्धकार; खो रहा दिशा का ज्ञान, स्तब्ध है पवन-चार; अप्रतिहत गरज रहा पीछे अम्बुधि विशाल; भूधर ज्यों ध्यान-मग्न; केवल जलती मशाल।
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