| 1. | ऐसे वचन कह गुडाकेश अवाच्य हो बैठे वहीं..
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| 2. | वह अवाच्य, अनभिव्यक्त और इन्द्रियों से परे है।
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| 3. | दक्षिण में भोजराज्य तथा पश्चिम में नीच्य और अवाच्य राज्य थे।
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| 4. | वह अवाच्य । अनभिव्यक्त । और इन्द्रियों से परे है ।
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| 5. | सन्तानधर्म का मर्म यही है कि जो अवाच्य भी हो, उसे भी गुरू से कह देना चाहिए।
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| 6. | बनाने के तर्क है कि “निबंध” में सवाल किया गया था या “अप्रत्यक्ष अवाच्य विषय” है.
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| 7. | सन्तानधर्म का मर्म यही है कि जो अवाच्य भी हो, उसे भी गुरू से कह देना चाहिए।
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| 8. | सत्य कुछ तथ्य कुछ कथ्य जिन्दगी के हाशिये पर उकेरी हुई वाक्य-अवाच्य में गुथी हुई उन निर्णायक बिंदु की बाट जोहती हुई।
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| 9. | समझा जाता है कि एक निबंध अवाच्य के बाद कई प्रयास किए गए हैं को पढ़ने के लिए, एक अंक शून्य प्राप्त होगा.
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| 10. | ऐसे व्यक्ति के लिए कुछ भी अकार्य (न करने योग्य) नहीं होता है और न ही कहीं अवाच्य (न बोलने योग्य) रह जाता है ।
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