| 1. | शब्दाङ्कुर (वर्ष ११ पूर्णाङ्क १२९, असार २०६९)-
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| 2. | बल्कि इसके तो कोई असार ही नहीं थे...
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| 3. | संशय रूपी असार संसार छीन लेते हैं ।
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| 4. | मत रम यहां इंसान, ये संसार है असार
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| 5. | असार संसार में यह चार वस्तुएँ सार हैं।
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| 6. | नहीं, संसार असार है-जस्ट मीनिंगलेस।
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| 7. | सार असार ते जब दुहें, कारज पूरन होय
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| 8. | संसार असार है, यह तुम नहीं कह सकते।
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| 9. | असार के लिए सार को गंवाते हो ।
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| 10. | असार वही है, जो तुमसे बाहर रहे।
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