| 1. | और केंद्र के जाते ही अहंभाव नहीं रहता।
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| 2. | ऐसी आइडेंटिटी, ऐसा तादात्म्य ही अहंभाव है।
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| 3. | त्रिगुणातीत अर्थात् स्वार्थपूर्ण अहंभाव से परे हो जाना।
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| 4. | अत: अहंभाव और मेरेपन से दूर रह।
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| 5. | अहंभाव का नाश करना यह शिष्यत्व का प्रारम्भ है।
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| 6. | सकारात्मक अहंभाव से अपनी ऊर्जा भी बढ़ायें।
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| 7. | सीमित अहंभाव से कामनाओं का जन्म होता है ।
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| 8. | आद्यिदैव पुरूषार्थ अहंभाव अधियज्ञ है, यही समझना सार।।4।।
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| 9. | अहंभाव उन्हें छू भी नहीं पाया था।
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| 10. | समस्या 6: अहंभाव और चापलूसी की संस्कृति.
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