| 1. | यह धातु ही ऋणाग्र का काम करती है।
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| 2. | यह धातु ही ऋणाग्र का काम करती है।
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| 3. | यह धातु ही ऋणाग्र का काम करती है।
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| 4. | होती है, धनाग्र पर जमती है और दूसरी ऋणाग्र पर।
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| 5. | का परिमाण उपर्युक्त सूत्र द्वारा निकाला गया, जो ऋणाग्र किरणों (
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| 6. | अधिकतर इलेक्ट्रान प्राप्त करने के लिए ऋणाग्र को तप्त किया जाता है।
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| 7. | दोनों ही प्रकार के (उष्म तथा शीतल) ऋणाग्र प्रयोग में लाए जाते हैं।
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| 8. | दोनों ही प्रकार के (उष्म तथा शीतल) ऋणाग्र प्रयोग में लाए जाते हैं।
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| 9. | एक ध्रुव को ऋणाग्र (कैथोड) कहते हैं जिसका कार्य इलेक्ट्रानों का उत्पादन है।
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| 10. | अत: इलेक्ट्रान ऋणाग्र से निकलकर अपनी संपूर्ण ऊर्जा से धनाग्र से सीधे टकराते हैं।
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