| 1. | यदि सर्व आश्रय लीन ऋत साधक की दृढ़ता
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| 2. | रिमझिम रिमझिम रुमझुम रुमझुम भेगी भीगी ऋत में
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| 3. | ऋत संसार को चलाने वाले नियम हैं ।
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| 4. | ऋत तत्व साधक को सुलभ, परब्रह्म दोनों प्रकार
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| 5. | यदि जान ले ध्रुव ऋत अजन्मा महिमामय परमात्मा,
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| 6. | फ़िर तत्वमय चिंतन करें, ऋत आत्म तत्व प्रवेश को।
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| 7. | ऋत सर्व अंतर्यामी प्रभुवर, एकमेव ही ज्ञात है,
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| 8. | प्राकृतिक सुबह ऋत के नियमों से होती है।
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| 9. | वेदों ने उस उपाय को ऋत कहा है।
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| 10. | विज्ञेय केवल ज्ञानियों से, ऋत जिन्हें अनुभूति है।
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