| 1. | ह्रतप्रदेश और कण्ठ तथा छाती में जलन. ४.
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| 2. | कण्ठ चक्र से ललाट में भ्रूमध्य तक ।
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| 3. | पर कण्ठ में स्वयं सरस्वती विराज गई थीं।
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| 4. | प्राण: शरीर में कण्ठ से हृदय पर्यन्त
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| 5. | ” माँ का कण्ठ अश्रुआर्द्र हो उठा था।
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| 6. | , कारूर नील कण्ठ पिल्लै, तकषि आदि आदि।
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| 7. | कोई भी उठे मेरे कण्ठ में बैठ जाये
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| 8. | 4. उदान: प्राण का निवास कण्ठ है।
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| 9. | मुक्त कण्ठ से वन्दना और प्रशंसा हम करें
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| 10. | कण्ठहार-पति के कण्ठ का हार बनें।
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