| 1. | (क) जंघ छपा कदली होइ बारी।
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| 2. | कदली सीप भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।
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| 3. | छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा ।।
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| 4. | फाड़ते हैं गगन कदली-वीर-सा
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| 5. | गगन गरजि अमृत चुवै, कदली कँवल प्रकास ।
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| 6. | शनिवार को चौधरीखोला में कदली वृक्षों को निमंतण्रदिया जाएगा।
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| 7. | आम्र मौर जाओ हे, कदली स्तंभ बनाओ,
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| 8. | कदली वन में एक हाथी रहता था।
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| 9. | काटेहि पे कदली फरे कोऊ जतन कोऊ सीं च.
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| 10. | काटे पै कदली फरै, कोटि जतन को सींच ।
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