| 1. | कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर
 
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 | 2. | कलधौत के धाम बनाए घने महराजन के महराज भये।
 
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 | 3. | कोटिकहुं कलधौत के धाम करील की कुंजन ऊपर बारौं।।
 
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 | 4. | कलधौत के धाम बनाए घने महाजन के महाराज भये।
 
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 | 5. | केतक ही कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर वारौं।।
 
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 | 6. | कोटिक यह कलधौत के धाम करील की कुंजन ऊपर वारौं।
 
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 | 7. | कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥
 
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 | 8. | कोटिक वे कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर बारौं।
 
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 | 9. | केतिक ही कलधौत के धाम करील के कुंजन ऊपर बारौंड्ड
 
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 | 10. | कहि नहिं सकहिं शेष श्रुति तैसी रचित कोट कलधौत सुहावन ।
 
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