| 1. | जहाँ से प्रगट भई गंगा कलुष कलिहारिणी गंगा।
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| 2. | जो वीत तृष्णा और निष् कलुष है,
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| 3. | सकल: पक्क कलुष और अपक्व कलुष:
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| 4. | सकल: पक्क कलुष और अपक्व कलुष:
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| 5. | बरनउँ रघुबर बिसद जसु सुनि कलि कलुष नसाइ।।
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| 6. | रह न पाये कलुष तम का कोई नहीं
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| 7. | * करें मन्यु से कलुष निवारण (सुमित्रानंदन पंत)
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| 8. | आरती…।।जहाँ से प्रगट भई गंगा, कलुष कलिहारिणी गंगा।
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| 9. | कलुष बनता है बाहरी तत्वों और प्रभाव से।
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| 10. | इनके अंदर के कलुष की सफाई हो जाएगी।
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