| 1. | तो उठाइये क़लम और हो जाइये शुरू ।
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| 2. | और कुछ ख्याल उड़ कर मेरी क़लम से,
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| 3. | काग़ज़ पर क़लम से लगे उसके हांथ!
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| 4. | “खैयाम की रुबाइयाँ रघुवंश गुप्त की क़लम से”
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| 5. | Labels: The Joshua Tree, दिल की क़लम से
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| 6. | ख़त लिखा न गया न क़लम चल सकी-
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| 7. | मेरे ब्लॉग का नाम आज़ाद क़लम ही क्यों?
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| 8. | मालवीयजी की क़लम भला तुच्छ हो सकती है।
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| 9. | या हाथ मे लेकर क़लम अब साथ आइए
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| 10. | लहू न हो तो क़लम तरजुमाँ नहीं होता
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