| 1. | कायफल को पीसकर उसका काढ़ा बना लें।
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| 2. | बबूल की फलियों और कायफल के बीज का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए।
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| 3. | 24. कायफल: कायफल 25 ग्राम की मात्रा में कूटपीसकर रख लें।
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| 4. | 24. कायफल: कायफल 25 ग्राम की मात्रा में कूटपीसकर रख लें।
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| 5. | बवासीर के मस्सों पर कायफल छाल का चूर्ण घी में मिलाकर लगाना चाहिए।
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| 6. | कायफल को कूट-छानकर चूर्ण बना लें, फिर उसमें बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर रख लें।
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| 7. | हिचकी का रोग-जवासा, सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, कायफल, पुश्कर की जड़ तथा काकड़ासिंगी।
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| 8. | कायफल के चूर्ण को दालचीनी के साथ खाने से पुरानी खांसी और बच्चों की कालीखांसी दूर होती है।
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| 9. | कायफल के महीन चूर्ण में हींग, कपूर और घी मिलाकर बवासीर में लगाने से बवासीर ठीक होती है।
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| 10. | इसमें जटामांसी व छरीला 3-3 ग्राम, इलायची और कायफल 1.5 ग्राम पीसकर मिलाकर नस्य लें।
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