उदाहरण के लिए, उन मामलों में पित्तप्रकृति (कोपशील) मनुष्य
2.
शिक्षक को पित्तप्रकृति (कोपशील) तथा वातप्रकृति (विषादी)
3.
अभाव का पित्तप्रकृति (कोपशील) स्वभाव से संबंध होना अनिवार्य नहीं है।
4.
हर पित्तप्रकृति (कोपशील) मनुष्य अपने निश्चय पर अड़िग नहीं रहता और न हर
5.
पित्तप्रकृति (कोपशील)-कमल सहपाठियों के बीच अपने उतावलेपन के लिए प्रसिद्ध है।
6.
सामान्यतः शिक्षक को पित्तप्रकृति (कोपशील) तथा वातप्रकृति (विषादी) स्वभावोंवाले बच्चों पर विशेष ध्यान देना पड़ता है:
7.
उदाहरण के लिए, व्यवहार में संयम व आत्म-नियंत्रण के अभाव का पित्तप्रकृति (कोपशील) स्वभाव से संबंध होना अनिवार्य नहीं है।
8.
हर पित्तप्रकृति (कोपशील) मनुष्य अपने निश्चय पर अड़िग नहीं रहता और न हर रक्तप्रकृति (प्रफुल्लस्वभाव) मनुष्य सह्रदय होता है।
9.
ये चार प्रकार के स्वभाव इस प्रकार थे: रक्तप्रकृति (प्रफुल्लस्वभाव, उत्साही), श्लैष्मिक प्रकृति (शीतस्वभाव), पित्तप्रकृति (कोपशील) और वातप्रकृति (विषादी) ।
10.
इसके विपरीत पित्तप्रकृति (कोपशील) व्यक्ति की विशेषताएं उर्जा का उफान, काम के प्रति घोर लगन, कर्मठता, सहज ही भावावेश में आ जाना, मनोदशा में एकाएक परिवर्तन और असंयत चेष्टाएं हैं।