कोमल कोमल पंख हिलाती महक रही है हर लता...... अनेक पुष्प बिखर रहे है निखर रही है अदभुत छटा....
7.
कल्याणमयी करुणाओं के वे सौ-सौ जीवन-चित्र लिखे मेरे हिय में जाने किसने, जाने कैसे उनकी उस सहजोत्सर्गमयी आत्मा के कोमल पंख फँसे मेरे हिय में, मँडराता है मेरा जी चारों ओर सदा उनके ही तो ।
8.
अगर अब हम नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब यही आवारा बच्चे अपने ही समाज के लिए खतरा बन जाएंगे क्योंकि यह तो हम जानते ही हैं कि बच्चे उस कोमल पंख की तरह होते हैं जो हवा के साथ बह जाते हैं.
9.
अगर अब हम नहीं चेते तो वह दिन दूर नहीं जब यही आवारा बच्चे अपने ही समाज के लिए खतरा बन जाएंगे क्योंकि यह तो हम जानते ही हैं कि बच्चे उस कोमल पंख की तरह होते हैं जो हवा के साथ बह जाते हैं.
10.
नए वर्ष के ऐ पंछी उड़ जा तू कोमल पंख पसार दे आ नूतन प्रेम संदेशाहर एक द्वार-द्वार जाति-पाति और वर्ग-धर्म के भाषा-क्षेत्र, मंदिर-मस्जिद के लौह सलाखें पिघला हर बार प्रेम स्नेह की प्रखर ज्योति सेनयी अरुणिमा की आभा से शहर-शहर और गाँव-गाँव कीरंग दे गलियाँ और चौबार पुरखों की गौर...