12 और मुझे तो तू खराई से सम्भालता, और सर्वदा के लिये अपने सम्मुख स्थिर करता है॥
3.
1 जो निर्धन खराई से चलता है, वह उस मूर्ख से उत्तम है जो टेढ़ी बातें बोलता है।
4.
सीधे लोग अपनी खराई से अगुवाई पाते हैं, परन्तु विशावास घाती अपने कपट से नष्ट हो जाते हैं।
5.
2 वह जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है, और हृदय से सच बोलता है;
6.
पमरेश् वर न् यायी है, जो दुष् ट और धर्मी मनुष् यों का खराई से न् याय करेगा।
7.
8 और वह आप ही जगत का न्याय धर्म से करेगा, वह देश देश के लोगों का मुकद्दमा खराई से निपटाएगा॥
8.
इसलिये यहोशू उन् हें यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा, सच् चाई और खराई से करने का आव् हान करता है।
9.
कार्य परमेश् वर हमसे चाहता है कि हम करें, और हम मसीह की शिक्षाओं के अनुसार खराई से चलें, यदि ऐसा करने पर हम पर सताव आए तो यह धार्मि क सताव है-यही मसीही सताव है।
10.
6 परमेश्वर ने उस से स्वप्न में कहा, हां, मैं भी जानता हूं कि अपके मन की खराई से तू ने यह काम किया है और मैं ने तुझे रोक भी रखा कि तू मेरे विरूद्ध पाप न करे: इसी कारण मैं ने तुझ को उसे छूने नहीं दिया।