| 1. | मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं,
|
| 2. | ख़ाक हो जाएंगे हम, तुनको ख़बर होने तक.
|
| 3. | मुझे ख़ाक करने को चला था जब ज़माना,
|
| 4. | क्या उठायेगी सबा ख़ाक मेरी उस दर से
|
| 5. | ख़ाक में लिथड़े हुए, ख़ून में नहलाए हुए
|
| 6. | कच्ची थी सोंधी ख़ाक में मैं बोलता रहा,
|
| 7. | मज़े जहाँ के अपनी नज़र् में ख़ाक नहीं
|
| 8. | आख़री वक्त में क्या ख़ाक मुसलमां होंगे..
|
| 9. | मगर फिर ख़ाक उन पर डाली जाती है
|
| 10. | वो और थे जो ख़ाक हुए बर्क़-ए-नज़र से
|