| 1. | फूलहिं फलहिं न बेंत जदपि गरल बरसहिं सुधा।
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| 2. | गरल पीने की कथा, कहते रहेंगें कंठ नीले
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| 3. | गरल कंठ में धारण कर लो निर्भय हो.
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| 4. | राणा का पी के गरल, तुमने तोड़े बन्धन।
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| 5. | गरल पी चुका हूँ, गरल पी रहा हूँ।।
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| 6. | गरल पी चुका हूँ, गरल पी रहा हूँ।।
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| 7. | मिथ्या माहुर सज्जनहि, खालहि गरल सम सांच।
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| 8. | मन का गरल बह निकला आँखों के रास्ते.
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| 9. | जितना गरल पीता रहा उतना होते रहा परिष्कृत
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| 10. | क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो।
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