| 1. | जो पारसमणि को खोकर बदलेमें घुँघची ले लेता
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| 2. | तहँ तहँ होइ घुँघची कै रासी॥
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| 3. | तहँ तहँ होइ घुँघची कै रासी॥
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| 4. | भावार्थ:-जो पारसमणि को खोकर बदले में घुँघची ले लेता है, उसको कभी कोई भला (बुद्धिमान) नहीं कहता।
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| 5. | इसकी अनेक शाखाएँ निकलती हैं और घुँघची जैसे लाल रंग के फल बरसात के अंत या जाड़े के प्रारंभ में मिलते हैं।
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| 6. | * काले धतूरे की जड़, सफेद घुँघची की जड़ व तुलसी के पत्तों को लेकर भी यह प्रयोग किया जा सकता है।
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| 7. | शबर घुँघची और मोतियों से गूँथे हुए हार, स्थूल कौड़ियों की मालाएँ तथा साँपों की मणियाँ आभूषण के रुप में पहनते थे ।
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| 8. | * काले धतूरे की जड़, सफेद घुँघची की जड़ व तुलसी के पत्तों को लेकर भी यह प्रयोग किया जा सकता है।
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| 9. | भावार्थ:-जो पारसमणि को खोकर बदले में घुँघची ले लेता है, उसको कभी कोई भला (बुद्धिमान) नहीं कहता।
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| 10. | अत: हम लक्षणा से तो ' मुक्ता ' का अर्थ लेते हैं ' बहुमूल्य वस्तु ' और घुँघची का अर्थ लेते हैं ' तुच्छ वस्तु ' ।
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