कहीं हत्थे मत चढ जाना, बिना चालान के ही अंदर का रास्ता दिखा देगा।
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कहीं हत्थे मत चढ जाना, बिना चालान के ही अंदर का रास्ता दिखा देगा।
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उपर से बोलता भी है दूसरा ट्रेन पीछे आ रहेली है... चढ जाना.... ।
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लक्ष्य-भेद मैं कर तो दूंगा, एक तुम्हारे आवाहन से लेकिन प्रत्यंचा पर तुमको आ खुद ही चढ जाना होगा
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उमेश ने कभी हिमालय नहीं देखा था और पहली ही बार में 5200 मीटर ऊंचे श्रीखण्ड तक चढ जाना वाकई हैरानी भरा है।
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जिन्दगी में पहली बार वे हिमालय में गये थे और दूसरे ही दिन 5200 मीटर की महा-ऊंचाई पर चढ जाना किसी भगवान के ही बस में है, इंसान के नहीं।
8.
मैं बडा परेशान कि क्या करूँ? लेकिन जैसा उन्होंने कहा था कि पहाड से नीचे नहीं उतरना है पहले इस पहाड के सबसे ऊपर चढ जाना है उसके बाद ही नीचे उतरना है।
9.
दोनों हरयाणवियों में बात हुई और तय हुआ कि आज टंकी से उतारने का ऐलान करना है...मैं आता हूं..तुम दिन उगने से पहले ही घर से निकल कर टंकी पर चढ जाना पाबला जी अपने ठीये से निकल कर ७० किलोमीटर की दूरी तय करते है.
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बन कर इक बादल का टुकड़ा, बन तो जाऊं छांह पंथ में लेकिन तुमको अपनी गति से कुछ पल को थम जाना होगा लक्ष्य-भेद मैं कर तो दूंगा, एक तुम्हारे आवाहन से लेकिन प्रत्यंचा पर तुमको आ खुद ही चढ जाना होगा इतना अच्छा कैसे लिख लेते है आप?