निर्वासन कहानी-प्रेमचंद परशुराम-वहीं-वहीं, दालान में ठहरो!
4.
मोल मुक्ता का वह क्या जानेजो गोताखोर नही है? ठहरो!
5.
] दीप्ति: ठहरो! मैं भी चलती हूं. (करुणा से) ममी, मैंमनीषा दीदी के पास जा रही हूं, रवाना वहीं रवा लूंगी.
6.
उन्हें देखकर ब्लेक ने चिल्लाकर कहा, “कैटे ठहरो! बस वैसी ही रहो जैसी हो, मैं अभी तुम्हारा एक पोर्ट्रेट बनाता हूं क्योंकि तुम मेरे लिए हमेशा एक फरिश्ता रही हो.”
7.
उन्हें देखकर ब्लेक ने चिल्लाकर कहा, “कैटे ठहरो! बस वैसी ही रहो जैसी हो, मैं अभी तुम्हारा एक पोर्ट्रेट बनाता हूं क्योंकि तुम मेरे लिए हमेशा एक फरिश्ता रही हो.”
8.
इस बार रामलीला में राम को देखकर-विशाल पुतले का रावण थोड़ा डोला, फिर गरजकर राम से बोला-ठहरो! बड़ी वीरता दिखाते हो, हर साल अपनी कमान ताने चले आते हो!
9.
इसी समय एक बोल उठा-ठहरो, ठहरो! अगर यह मांस ही खाकर आज भूख मिटानी है, तो इस सूखे नरकंकाल को न भूनकर, आओ इस कोमल लड़की को ही भूनकर खाया जाए
10.
इसी समय एक बोल उठा-ठहरो, ठहरो! अगर यह मांस ही खाकर आज भूख मिटानी है, तो इस सूखे नरकंकाल को न भूनकर, आओ इस कोमल लड़की को ही भूनकर खाया जाए