| 1. | वास्तव में यह जलीयक का प्रारूपिक डिंभ है।
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| 2. | वहीं अंडे का विकास होता और डिंभ (
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| 3. | इसके डिंभ चार मुख्य प्रकार के होते हैं;
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| 4. | डिंभ पूर्ण अवस्था को पहुँचने पर कोष (कोकून,
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| 5. | इस डिंभ को मुलर का डिंभ कहते हैं।
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| 6. | इस डिंभ को मुलर का डिंभ कहते हैं।
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| 7. | यह डिंभ क्रमश: पूर्ण रूप ग्रहण करता है।
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| 8. | डिंभ के आंत्र के तीनों भाग अग्रांत्र (
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| 9. | डिंभ की अवस्था में इनमें पाचकनली नहीं होती।
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| 10. | डिंभ दो प्रकार से पूर्णता प्राप्त करते हैं।
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