| 1. | सन्तुष्टो भार्य्या भर्त्ता भर्त्रा भार्या तथैव च ।
 
  | 
 | 2. | काक चेष्टा, बको ध्यानं, श्वान निंद्रा तथैव च
 
  | 
 | 3. | यज्ञ काले विवाहे च देवयागे तथैव च ।
 
  | 
 | 4. | श्लोक है-काक-चेष्टा, वको-ध्यानं,श्वान-निद्रा तथैव च,अल्पाहारी, गृहत्य
 
  | 
 | 5. |  (एवं) पुनः सकलोऽप्यलीक एवायं प्रेमबन्धोऽवधार्यतामिति तथैव प्रतिपादयति ।
 
  | 
 | 6. | शाखां लतां गृहीत्वा तु पत्रं मूलं तथैव च।।
 
  | 
 | 7. | हो आदिदेव तथैव उत्तम धाम अपरम्पार हो..
 
  | 
 | 8. |  ' तथैव दुर्गसंस्कारं देवैरपि दुरासदम्, स्त्रियोऽपियस्यां युध्येयु: किमु वृष्णिमहारथा:'।[6]
 
  | 
 | 9. | संतुष्टो भार्यया भर्ता भर्ता भार्या तथैव च:
 
  | 
 | 10. | सन्तुष्टो भार्यया भर्ता भर्त्रा भार्य्या तथैव च।
 
  |