| 1. | क्युं नवल तारुण्य मे निर्वीर्यता देती दिखायी ॥१॥
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| 2. | तारुण्य! जवलन्त धमनियों का अविरत स्पन्दन ।
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| 3. | तारुण्य! जवलन्त धमनियों का अविरत स्पन्दन ।
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| 4. | मल्मली तारुण्य माझे तू पहाटे पांघरावे!
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| 5. | वे आ गए अपने सारे तारुण्य में मस् त।
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| 6. | उनकी मुरली तारुण्य के उद्रेकों को आह्वान देती थी।
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| 7. | प्रीति की परिपूर्णता के लिए चिर तारुण्य अपेक्षित होता है।
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| 8. | तारुण्य सरक-सरक कर प्रौढ़ता की फिसलपट्टी पर आकर टिका है।
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| 9. | छलकता तारुण्य नयन से बह रहा
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| 10. | तारुण्य सरक-सरक कर प्रौढ़ता की फिसलपट्टी पर आकर टिका है।
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