इन दवाओं का मूल्य ब्रांडेड दवाओं से 1 / 10 हिस्सा कम होता है।
3.
सरकार एनपीपीए के माध्यम से ही देश में दवाओं का मूल्य निर्धारित करती है।
4.
अपनी दवाओं का मूल्य हमने बाजार भाव से 25 फीसदी से सौ फीसदी तक कम रखा है।
5.
कुल मिलाकर जीवन रक्षक तथा आवश्यक दवाओं का मूल्य नियंत्रण बाजा़र के भरोसे छोड़ दिया गया है.
6.
इससे पहले कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले मंत्री समूह ने दवाओं का मूल्य विभिन्न ब्रांडों के औसत मूल्य के आधार पर तय करने का प्रस्ताव किया था।
7.
इस ' पेश' करने की पूरी प्रक्रिया में ही दवाओं का मूल्य कई गुना बढ़ जाता है, जिसका फायदा दवा कंपनियों के मालिकान को होता है और नुकसान आम मरीज का.
8.
हालांकि ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर द्वारा इन जीवन-रक्षक दवाओं का मूल्य निर्धारित किया जाता है, लेकिन मेडिसिन की प्रैक्टिस करने वालों के बढ़ते शुल्क के नियंत्रण के लिए कोई कानून नहीं है।
9.
[जारी है] इससे पहले कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले मंत्री समूह ने दवाओं का मूल्य विभिन्न ब्रैंडों के औसत मूल्य के आधार पर तय करने का प्रस्ताव किया था।
10.
15 मई को डीपीसीओ निकालने के बाद 14 जून को 151 दवाओं, 21 जून को 26, 28 जून को 51, 5 जुलाई को 25 और 22 जुलाई को 26 दवाओं का मूल्य निर्धारण किया गया।