| 1. | जैन-दर्शन दैव एवं पुरुषार्थ में अविरोध स्थापित करताहै.
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| 2. | वह दैव के भरोसे भी नहीं रहता,
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| 3. | माँग रहे वर प्रिय-प्रिया, दैव न देना डाह..
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| 4. | दैव भी दुर्बल का ही घातक होता है।
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| 5. | जो कोई दैव कल्पते हैं सो मूर्ख हैं।
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| 6. | इससे वह और दैव के आश्रय नहीं बैठता।
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| 7. | मुश्किल में हूँ दैव मैं, आकर तनिक निवार.
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| 8. | किस प्रकार वे दैव प्रेरित जान पड़ती हैं।
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| 9. | अत: परमाणु, शून्य, ईश्वर, दैव आदि असिद्ध हैं।
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| 10. | लोग जो कहते हैं कि दैव करेगा ।
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