| 1. | सोच समझ नर देख पियारे, नश्वर सब संसार॥
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| 2. | इस चराचर जगत में समस्त वस्तुयें नश्वर है।
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| 3. | नश्वर हो जाते है खुद ही ये गुरु
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| 4. | मिथ्या का अर्थ है, जगत नश्वर है।
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| 5. | देह गेह कोई न तुम्हारा नश्वर संयोगी मध
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| 6. | कवि ने यहां वर्तमान को नश्वर नहीं समझा।
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| 7. | शरीर नश्वर है-यह समझ में आना।
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| 8. | कवि कहता है ये जीवन नश्वर है.
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| 9. | शाश्वत को छोड़ता रहा, नश्वर को बटोरता रहा
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| 10. | सिर है कांधों पे या नश्वर माटी कोई
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