वह दहाड़ता हुआ बोला, “अन्यायी और निर्धन मनुष्य का अनुसरण करने वाली नारी!
2.
भयभीत हो गया, जैसे कोई निर्धन मनुष्य किसी के हाथों से सोने की ईंट
3.
पर प्रभु मैं यहाँ हूँ, एक निर्धन मनुष्य जिसका किसी ने ख्याल नहीं रखा था।
4.
उस व्यक्ति ने विद्यासागरजी के साधारण कपड़े देख उन्हें आसपास के गांव का कोई निर्धन मनुष्य समझा।
5.
उसकी प्रेमातुरता से मैं भयभीत हो गया, जैसे कोई निर्धन मनुष्य किसी के हाथों से सोने की ईंट लेते हुए भयभीत हो जाए।
6.
मेरे भाई ने उसे झुक कर सलाम किया और कहा, सरकार मैं निर्धन मनुष्य हूँ और आप जैसे ऐश्वर्यवान व्यक्ति से कुछ माँगने आया हूँ।
7.
अत्यंत विपन्नता में जीवन व्यतीत करते हुए जब वे किसी अति निर्धन मनुष्य को देखते जो भी उस समय उनके पास होता उसे दे देते थे।
8.
जिसके पास बहुत सा धन है, उस ब्रह्मघातक मनुष्य का भी सत्कार होता है और चंद्रमा के समान अतिनिर्मल वंश में उत्पन्न हुए भी निर्धन मनुष्य का अपमान किया जाता है।
9.
आलसी व्यक्ति को कभी विद्या प्राप्त नही होती है, विद्याहीन व्यक्ति को कभी धन प्राप्त नही होता है, निर्धन मनुष्य का कभी कोई मित्र नहीं होता है और बिना मित्र के किसी भी व्यक्ति को सुख प्राप्त नहीं होता है।
10.
यदि किसी मनुष्य ने किसी एक निर्धन मनुष्य की सेवा-सुश्रूषा बिना जाति-पाँति अथवा ऊँच-नीच के भेदभाव के, यह विचार कर की है कि उसमें साक्षात् शिव विराजमान हैं तो शिव उस मनुष्य से दूसरे एक मनुष्य की अपेक्षा, जो कि उन्हें केवल मंदिर में देखता है, अधिक प्रसन्ना होंगे।