| 1. | ग्रंथ में छपा है मूल्य: आदिवासियों में निर्मूल्य वितरण।
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| 2. | ग्रंथ में छपा है मूल्य: आदिवासियों में निर्मूल्य वितरण।
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| 3. | ग्रंथ में छपा है मूल्य: आदिवासियों में निर्मूल्य वितरण।
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| 4. | बिक रहे हैं आज जो निर्मूल्य?
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| 5. | संन्यासी के लिए कोई मूल्य ही नहीं है, निर्मूल्य हो गई बात।
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| 6. | बाज, मुड़ा हुआ, कपटी, चालाक बाक़ी= अनन्त, शेष, बकाया बे क़द्र= निर्मूल्य बे क़रार= बेचैन, उतावला बे कस=
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| 7. | फिर उससे जो छूटता मालूम होता है, वह निर्मूल्य और जो पाया जाता है, वह अमूल्य होता है.
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| 8. | फिर उससे जो छूटता मालूम होता है, वह निर्मूल्य और जो पाया जाता है, वह अमूल्य होता है।
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| 9. | फिर उससे जो छूटता मालूम होता है, वह निर्मूल्य और जो पाया जाता है, वह अमूल्य होता है.
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| 10. | अखबार और चैनल भले ही खबरों और मतों को बेच कर चलते हों वे निर्मूल्य और महज विक्रेता होकर नहीं रह सकते.
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