संस्कृत ग्रंथ ‘ युक्तिकल्पत्रु ' में नौका निर्माण का ज्ञान है।
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इस ग्रंथ में नौका निर्माण की विस्तरित जानकारी है जैसे किस प्रकार की लकडी का प्रयोग किया जाये, उन का आकार और डिजाइन कैसा हो।
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लक्जरी नौका चार्टर, नौका निर्माण और उद्यमों ज्यादातर अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में स्थित हैं, लेकिन वे भी उत्तरोत्तर ऑस्ट्रेलिया, एशिया और पूर्वी यूरोप में आधारित है.
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इन नौका निर्माण सामग्रीयॊं को, याट के निर्माण मॆं विभिन्न प्रकार में प्रयोग किया जाता है और मुख्य रूप से आकार और अपेक्षित क्शमता पर आधारित हॊता है.
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इसी प्रकार, नौका निर्माण, बुनाई, बर्फ, नींबू का रस निकालने, जहाज़ निर्माण तथा मरम्मत जैसे अन्य काम भी हुरमुज़गान प्रान्त में किये जाते हैं।
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लकड़ी के शहतीरों को जोड़ कर नौका निर्माण की तकनीक मनुष्य ने बाद में सीखी, उससे पहले समूचे वृक्ष के खोखले तने का नाव के तौर पर उपयोग करना उसे सूझा।
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लकड़ी के शहतीरों को जोड़ कर नौका निर्माण की तकनीक मनुष्य ने बाद में सीखी, उससे पहले समूचे वृक्ष के खोखले तने का नाव के तौर पर उपयोग करना उसे सूझा।
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लकड़ी के शहतीरों को जोड़ कर नौका निर्माण की तकनीक मनुष्य ने बाद में सीखी, उससे पहले समूचे वृक्ष के खोखले तने का नाव के तौर पर उपयोग करना उसे सूझा।
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भाषाओं के विकासक्रम पर अगर नज़र डालें तो यह तथ्य लकड़ी के शहतीरों को जोड़ कर नौका निर्माण की तकनीक मनुष्य ने बाद में सीखी, उससे पहले समूचे वृक्ष के खोखले तने का नाव के तौर पर उपयोग करना उसे सूझा।
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यद्यपि सन् 1855 में लैंबोट नामक एक फ्रांसीसी ने प्रबलित कंक्रीट की छोटी नाव भी पेटेंट करा ली थी, तथापि नौका निर्माण के लिए लकड़ी का ही प्रयोग आदि काल से होता आया है, और इसका स्थान व्यापक रूप से कोई अन्य पदार्थ नहीं ले सका।