| 1. | पार्थ ने झिडक़ना चाहा पर शब्द लरज ग़ए।
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| 2. | अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्त्तिकरमर्जुन॥ क्लैब्यं मा स्म गम: पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
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| 3. | पीड़ा अधिक या क्रोध-विचलित हैं पार्थ!
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| 4. | श्री भगवान उवाच-पार्थ नैवेह नामुत्र विनाशस्तस्य विद्यते।
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| 5. | पार्थ को गीता सुना संसार को सारे खलिश
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| 6. | द्वन्द्व-युद्ध के लिए पार्थ को फिर उसने ललकारा,
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| 7. | पार्थ! तुम्हें बतलाउगां कब वह शुभ संयोग।।
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| 8. | ' ' '' पार्थ कुछ देर तो रुको..
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| 9. | कहा कृष्ण ने पार्थ से देखो कुरूजन सर्व
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| 10. | से भरे मन, से बोला तब पार्थ
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