गर्भाधान होने पर पीत पिंड गर्भाशय को तैयार करता है.
4.
पीत पिंड द्वारा उत्पन्न प्रोजेस्ट्रान अंत:
5.
करने के बाद बंद हो जाती है और पीत पिंड (
6.
यह अंत: स्राव पीत पिंड को बनाए रखता है,जो तब तक प्रोजेस्ट्रान
7.
मानो जलयान के वितल पृष्ठ भाग मध्य, आता चला फेन पीत पिंड सा उबलता उछल रहे थे धूमकेतु धाुरियों से तीव्र, यान केतु ताड़ित नभचक्र था उछलता।
8.
रज: स्राव के पंद्रहवें दिन डिंबग्रंथि से अंडोत्सर्ग (ovulation) होने पर पीत पिंड (Corpus Luteum) बनता है तथा इसके द्वारा मिर्मित स्रावों (प्रोजेस्ट्रान) तथा ओस्ट्रोजेन के प्रभाव के अंतर्गत गर्भाशय अंत:कला में परिवर्तन होते रहते हैं।
9.
पीत पिंड द्वारा उत्पन्न प्रोजेस्ट्रान अंत: र्गभाशय कला को मोटा करता है,और भावी भ्रूण के पोषण के लिये उसमें द्रव और पोषक पदार्थ भर देता है.प्रोजेस्ट्रान के कारण र्गभाशय ग्रीवा(cervix) का आंव गाढ़ा हो जाता है,ताकि शुक्राणु या जीवाणू गर्भाशय में प्रवेश न कर सकें.प्रोजेस्ट्रान के कारण ही लूटियल दशा में शरीर का तापमान जरा बढ़ जाता है और आर्तव के शुरू होने तक बढ़ा रहता है.
10.
लूटीयल दशा-यह दशा अंडोत्सर्ग के बाद शुरू होती है. यह करीब 14 दिनों तक रहती है (गर्भाधान होने तक) और आर्तव के शुरू होने के पहले समाप्त होती है.इस दशा में,फूटी हुई पुटिका अंडे को मुक्त करने के बाद बंद हो जाती है और पीत पिंड(corpus luteum) नामक एक रचना का निर्माण करती है,जो बढ़ती हुई मात्रा में प्रोजेस्ट्रान का उत्पादन करता है.गर्भाधान होने पर पीत पिंड गर्भाशय को तैयार करता है.