| 1. | उपरोक्त विवेचन के आधार पर हिन्दी में पुंलिंग,
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| 2. | तो बिना वाक्य-प्रयोग के हमें कैसे पता चलेगा कि यह पुंलिंग है या
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| 3. | क्रिया का सामान्य भूतकालिक एकवचन पुंलिंग रूप भी ब्रजभाषा में प्रमुखरूपेण औकारांत ही रहता है।
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| 4. | क्रिया का सामान्य भूतकालिक एकवचन पुंलिंग रूप भी ब्रजभाषा में प्रमुखरूपेण औकारांत ही रहता है।
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| 5. | में किया गया है और सभी कुरानों में इसका इस्तेमाल पुंलिंग के रूप में किया गया है.
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| 6. | पुंलिंग और स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन तिर्यक् रूप-आँ होता है, बाताँ, कुड़ियाँ, मुड्याँ, पथराँ, साधुआँ।
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| 7. | पुंलिंग और स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन तिर्यक् रूप-आँ होता है, बाताँ, कुड़ियाँ, मुड्याँ, पथराँ, साधुआँ।
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| 8. | ब्रजभाषा की अपनी रूपगत प्रकृति औकारांत है अर्थात् इसकी एकवचनीय पुंलिंग संज्ञाएँ तथा विशेषण प्राय: औकारांत होते हैं;
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| 9. | क्रिया का सामान्य भूतकाल का एकवचन पुंलिंग रूप भी ब्रजभाषा में प्रमुख रूप से औकारांत ही रहता है।
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| 10. | क्रिया का सामान्य भूतकाल का एकवचन पुंलिंग रूप भी ब्रजभाषा में प्रमुख रूप से औकारांत ही रहता है।
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