| 1. | हे विश्व वेदाः पूषा श्रीमय ज्ञान संवर्धन करें।
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| 2. | इहो सहस्रदक्षिणो यज्ञ, इह पूषा निषीदतु॥-पा०गृ०सू० १.८.१०
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| 3. | ॐ येन पूषा बृहस्पतिः, वायोरिन्द्रस्य चावपत् ।।
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| 4. | रखने वाले पूषा (सू र्य) हमारा कल्याण करें; अरिष्टों
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| 5. | पूषा [1] पर आक्रमण किया।
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| 6. | त्वं वातैररूणैर्याति शंगयस्तवं पूषा विधतः पासि नुत्मना।।
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| 7. | पूषदन्तभित्-पूषा के दांत उखाड़ने वाले
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| 8. | स पूषा के टूटे हुए दांतों को ठीक किया।
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| 9. | हे विश्व वेदाः पूषा श्री मय, ज्ञान संवर्धन करें।
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| 10. | हे विश्व वेदाः! पूषा श्री मय ज्ञान संवर्धन करें।
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