धारा९७ शरीर तथा सम्पत्ति पर निजी प्रतिरक्षा का अधिकार
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जिस के कारण वह प्रतिरक्षा का अधिकार नहीं रखता है।
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धारा९८ ऐसे ब्यक्ति का कार्य के विरूद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार जो विकृतख्त्ति आदि हो
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हमारे पास भारतीय दंड संहिता की धारा १ ० २ के अधीन प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार है.
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97. शरीर तथा संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार-धारा 99 में अंतर्वि ष् ट निर्बन्धनों के अध्यधीन, हर व्यक्ति को अधिकार है कि, वह-
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संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार रात्रौ गॄह-भेदन के विरुद्ध तब तक बना रहता है, जब तक ऐसे गॄहभेदन से आरंभ हुआ गॄह-अतिचार होता रहता है ।
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चूंकि पुलिस के अनधिकृत कृत्यों के विरूद्ध रामजीलाल व भगवानदास को व्यक्तिगत प्रतिरक्षा का अधिकार है अतः रामजीलाल एवं भगवानदास आदि पर लगाये गये आरोपों के लिए दोशी ठहराने का प्रष्न ही नहीं उठता है।
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105. सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का प्रारंभ और बना रहना-सम्पत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार तब प्रारंभ होता है, जब सम्पत्ति के संकट की युक्तियुक्त आशंका प्रारंभ होती है ।
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संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार, चोरी के विरुद्ध अपराधी के संपत्ति सहित पहुंच से बाहर हो जाने तक अथवा या तो लोक प्राधिकारियों की सहायता अभिप्राप्त कर लेने या संपत्ति प्रत्युद्धॄत हो जाने तक बना रहता है ।
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चुनाव द्वारा भी इनमें कोई परिवर्तन सम्भव नहीं | मुसलमान काफिरों की हत्या करने से स्वर्ग पाएंगे | हमारे पास भारतीय दंड संहिता की धारा १ ० २ के अंतर्गत प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार है | आइये प्रण करें कि हम धरती पर इस्लाम को नहीं रहने देंगे |