कायमोग्राफ स्वानों का घोषणत्व और प्राणत्व निर्धारण करने अनुनासिकता और कालमात्रा जानने के लिये उपयोगी है।
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कायमोग्राफ स्वानों का घोषणत्व और प्राणत्व निर्धारण करने अनुनासिकता और कालमात्रा जानने के लिये उपयोगी है।
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और बाकी तो शरीर में जो है, सो है, मगर आंखें क्या चीज हुई कि प्राणत्व तो यहीं झलमल करता हुआ ठहरा।
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देवनागरी व्यंजनों को हम प्राणत्व के आधार पर भी समझ सकते हैं, जैसे-प्रथम, तृतीय और पंचम व्यंजन अल्पप्राण और द्वितीय और चतुर्थ व्यंजन महाप्राण होता है।
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काव्य को प्राणत्व की, मानव मात्र की मुक्ति चेतना के रूप में स्वीकारने वाले निराला की काव्य-यात्रा सन् 1920 में ‘प्रभा' मासिक में प्रकाशित ‘जन्मभूमि' नामक पहली कविता से प्रारम्भ हुई।
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चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श व्यंजन हैं जिनमें घोषत्व एवं प्राणत्व जैसे दो स्वनिमिकअभिलक्षणों द्वारा चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श स्वनिम प्राप्त होते हैं-इन चारो केलिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला के चार वर्ण यहां दिए गए हैं.
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चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श व्यंजन हैं जिनमें घोषत्व एवं प्राणत्व जैसे दो स्वनिमिकअभिलक्षणों द्वारा चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श स्वनिम प्राप्त होते हैं-इन चारो केलिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला के चार वर्ण यहां दिए गए हैं.
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चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श व्यंजन हैं जिनमें घोषत्व एवं प्राणत्व जैसे दो स्वनिमिक अभिलक्षणों द्वारा चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श स्वनिम प्राप्त होते हैं-इन चारो के लिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला के चार वर्ण यहां दिए गए हैं।
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चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श व्यंजन हैं जिनमें घोषत्व एवं प्राणत्व जैसे दो स्वनिमिक अभिलक्षणों द्वारा चार द्वयोष्ठ्य स्पर्श स्वनिम प्राप्त होते हैं-इन चारो के लिए प्रयुक्त देवनागरी वर्णमाला के चार वर्ण यहां दिए गए हैं।