| 1. | ये स्थल हैं-वनस्पति या प्राणिजगत, पृथ्वी, जीवात्मा एवं नरक।
|
| 2. | मान एक ऐसा तत्व है जिससे सारा प्राणिजगत प्रेम करता है।
|
| 3. | ये स्थल हैं-वनस्पति या प्राणिजगत, पृथ्वी, जीवात्मा एवं नरक।
|
| 4. | चाहत ही इन्सान को प्राणिजगत की तमाम कृतियों से अलग करती है।
|
| 5. | ) मान एक ऐसा तत्व है जिससे सारा प्राणिजगत प्रेम करता है।
|
| 6. | प्राणिजगत का अस्तित्व धरती, पाताल और आकाश की अवधारणा से संचालित है.
|
| 7. | चाहत ही इन्सान को प्राणिजगत की तमाम कृतियों से अलग करती है।
|
| 8. | जिससे हम ही नहीं सारा प्राणिजगत और वनस्पति तक प्रभावित होंगे.
|
| 9. | प्राणिजगत के मूल में प्रेम ही का वास होता हैं, प्रेम को जीवन से
|
| 10. | मही पृथ्वी को भी कहते हैं जिसे समस्त प्राणिजगत की जननि माना जाता है।
|