| 1. | कपक, पपीहा, अत्यूह, तंजल, धनाख, धारात, बभ्रु
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| 2. | ययाति के पुत्र द्रुह्यु से बभ्रु का जन्म हुआ।
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| 3. | बभ्रु सहसा अलिंद की ओर उछला।
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| 4. | नमस्ते बभ्रु रूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते।।
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| 5. | उसके दायें हाथ में बलवान कुत्ते बभ्रु की जंजीर का सिरा था।
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| 6. | उसने कुत्ते को पुचकार लिया-“ आ बभ्रु, आ! ”
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| 7. | राजा दशरथकृत (संक्षिप्त) शनि स्तोत्र-कोणस्थः पिंगलो बभ्रु कृष्णो रौद्राऽन्तको यमः।
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| 8. | कपक, पपीहा, अत्यूह, तंजल, धनाख, धारात, बभ्रु 5.
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| 9. | बभ्रु एक बार पंजे धरती पर छुआ कर और भी वेग से राजकुमारी की ओर लपका।
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| 10. | ज्योंही बभ्रु अधीर होकर अपनी जीभ अमिता के मुख की ओर बढ़ाता, हिता जंजीर खींच लेती।
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