| 1. | लगता है कि इनका ‘ भरतवाक्य ' लिखना पड़ेगा।
|
| 2. | संचालन डॉ. संतोष पंड्या ने किया एवं भरतवाक्य राजेंद्र अवस्थी ने प्रस्तुत किया।
|
| 3. | बाद में ग्रंथ की परिसमाप्ति पर भरतवाक्य में भी वे कहते हैं-न प्रोक्तं
|
| 4. | नाटक के प्रस्तावना, भरतवाक्य आदि स्थलों को उन्होंने प्रायः मौलिक रूप में प्रस्तुत किया है।
|
| 5. | नाटक के प्रस्तावना, भरतवाक्य आदि स्थलों को उन्होंने प्रायः मौलिक रूप में प्रस्तुत किया है।
|
| 6. | नाटक के प्रस्तावना, भरतवाक्य आदि स्थलों को उन्होंने प्रायः मौलिक रूप में प्रस्तुत किया है।
|
| 7. | प्ररोचना, प्रस्तावना, सूत्रधार, नांदी, मंगलाचरण, एकाधिक दृश्ययोजना, भरतवाक्य आदि के प्रयोग कहीं हैं, कहीं नहीं भी हैं।
|
| 8. | प्ररोचना, प्रस्तावना, सूत्रधार, नांदी, मंगलाचरण, एकाधिक दृश्ययोजना, भरतवाक्य आदि के प्रयोग कहीं हैं, कहीं नहीं भी हैं।
|
| 9. | लोथ साफ उठाया है और हम अंत में भरतवाक्य बंद कर सकते हैं और समाधि-लेख लिखने:
|
| 10. | बाद में ग्रंथ की परिसमाप्ति पर भरतवाक्य में भी वे कहते हैं-न प्रोक्तं यच्च लोकादनुकृतिकरणं तच्च कार्यं विधिज्ञै: ।
|