इससे मनुष्य शक्ति संपन्न बनेगा और उसकी दुर्बलता दूर होगी।
3.
इस देश की समृद्धि हमारी मनुष्य शक्ति के साथ ही साथ भरपूर प्राकृतिक संसाधनों में
4.
उनके सच्चे रूप को जान कर मनुष्य शक्ति और शांति एक साथ प्राप्त कर सकता है।
5.
इस देश की समृद्धि हमारी मनुष्य शक्ति के साथ ही साथ भरपूर प्राकृतिक संसाधनों में छिपी हुई है.
6.
इस देश की समृद्धि हमारी मनुष्य शक्ति के साथ ही साथ भरपूर प्राकृतिक संसाधनों में छिपी हुई है ।
7.
मानवी अन्तराल में ऐसे शक्ति केन्द्र छिपे पड़े हैं जिनको जागृत किया जा सके तो मनुष्य शक्ति का पुंज बन सकता हे ।।
8.
जिस रुपये, पैसे, घर जमीन, जायदाद पर अपना अधिकार है, उसे छिनाये जाने पर मनुष्य शक्ति भर विरोध करता है।
9.
“अधिकांश मनुष्य शक्ति को उसी समय शक्ति समझते हैं, जब वह उनके अनुभव के योग्य होकर स्थूलाकार में उनके सामने प्रकट हो जाती है।
10.
" वह जानता था कि मानव घोर संघर्ष करता है, तब किस प्रकार उसके अन्दर छिपीशक्ति प्रकट होती है, कठिनाइयों को दूर करते-करते कैसे मनुष्य शक्ति एवंसामर्थ्य को उपार्जित करता जाता है तथा शक्तिशाली बनने के लिए कितने कठोरपरिश्रम की आवश्यकता है.